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लेखक:

अब्दुल्लाह हुसैन

भारत के विभाजन और विस्थापन का गहरा चित्रण सबसे ज़्यादा उर्दू, उसमें भी ख़ासकर पाकिस्तान के कथा–साहित्य में हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण शायद यह है कि मुख्य भूमि को छोड़कर वहाँ गए लेखक अब भी किसी न किसी स्तर पर विस्थापन के दर्द को महसूस करते हैं। हालाँकि, उनका लेखन एक महान सामाजिक संस्कृति और विरासत से कट जाने के दर्द तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उसमें अपनी अस्मिता को नए ढंग से परिभाषित करने का उपक्रम भी है।

पाकिस्तान के सुविख्यात लेखक अब्दुल्लाह हुसैन के इस उपन्यास की विशेषता यह है कि इसका कथानक विभाजन और विस्थापन तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य कई प्रकार की अस्मिताओं की टकराहट इसमें देखी जा सकती है। भारतीय उपमहाद्वीप के परम्परागत समाज के आधुनिक समाज में तब्दील होने की ज़द्दोज़हद इसके केन्द्र में है।

अब्दुल्लाह हुसैन इन दिनों लाहौर (पाकिस्तान) में रहते हैं। उनका यह बहुचर्चित उपन्यास पहली बार पाकिस्तान में 1963 में छपा था। 1964 में इसे आदम जी पुरस्कार प्राप्त हुआ।

उदास नस्लें

अब्दुल्लाह हुसैन

मूल्य: $ 30.95

इस पुस्तक में भारत में हुए प्रथम विश्वयुद्ध के समय घर से बेघर हुए लोगों के विषय का वर्णन हुआ है...

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हिन्दोस्तान

अब्दुल्लाह हुसैन

मूल्य: $ 20.95

इस उपन्यास में ‘हिन्दोस्तान’ की महक और भारत पाकिस्तान के आवाम की दर्दनाक चीखें और कराहों के साथ उस समय के लालची नेताओं के सियासी स्वार्थों का तथ्यात्मक विश्लेषण कहे या असलियत-अपनी पुरजोर ताकत से उकेरे गए हैं।   आगे...

 

   2 पुस्तकें हैं|

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